टेस्ट क्रिकेट में ‘सर’ जडेजा का सिक्सर धमाका: धोनी के रिकॉर्ड को छुआ, पंत और सहवाग शीर्ष पर क्यों?

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अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में भारतीय क्रिकेट के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने एक उल्लेखनीय कीर्तिमान स्थापित किया है। अपने करियर के 85वें टेस्ट मैच में जडेजा ने भारत के पूर्व कप्तान और महान फिनिशर एमएस धोनी के 78 टेस्ट छक्कों के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। यह उपलब्धि केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में उनकी बढ़ती बल्लेबाजी शक्ति और एक धुआंधार ऑलराउंडर के रूप में उनकी बदली हुई भूमिका का स्पष्ट प्रमाण है।

जडेजा: स्पिनर से ऑलराउंडर धुरंधर तक का सफर

जब रवींद्र जडेजा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, तब उन्हें मुख्य रूप से एक बाएं हाथ के स्पिनर के तौर पर पहचान मिली थी। उनकी फील्डिंग तो हमेशा से ही विश्वस्तरीय रही है, लेकिन उनकी बल्लेबाजी में आया निखार पिछले कुछ सालों में अभूतपूर्व रहा है। अब वे न सिर्फ निचले क्रम में महत्वपूर्ण रन जोड़ते हैं, बल्कि अपनी आक्रामक शैली से मैच का रुख पलटने की क्षमता भी रखते हैं। धोनी के रिकॉर्ड की बराबरी करना यह दर्शाता है कि `सर` जडेजा अब सिर्फ गेंद से ही नहीं, बल्कि बल्ले से भी टीम के लिए मैच विजेता बन गए हैं। यह उनके समर्पण, कड़ी मेहनत और हर गुजरते दिन के साथ खुद को बेहतर बनाने की इच्छाशक्ति का परिणाम है।

धोनी की विरासत: सफेद जर्सी में भी `हेलिकॉप्टर` की उड़ान

एमएस धोनी, जिन्हें अक्सर सीमित ओवरों के क्रिकेट का बेताज बादशाह माना जाता है, उनकी छक्के मारने की क्षमता किसी से छिपी नहीं है। हालांकि टेस्ट क्रिकेट में उनका अंदाज थोड़ा अलग था, फिर भी 78 छक्के लगाना उनकी असाधारण ताकत और परिस्थितियों के अनुसार खेलने की क्षमता को दर्शाता है। धोनी की बल्लेबाजी निचले क्रम में आकर अक्सर दबाव में बड़े शॉट खेलकर टीम को संकट से निकालती थी। जडेजा द्वारा उनके रिकॉर्ड की बराबरी करना इस बात का भी संकेत है कि भारतीय क्रिकेट में अब निचले क्रम के बल्लेबाजों से सिर्फ विकेट बचाने की उम्मीद नहीं की जाती, बल्कि उनसे तेजी से रन बनाकर विपक्षी पर दबाव डालने की भी उम्मीद की जाती है। वे अब `गेम-चेंजर` बन गए हैं।

शीर्ष पर बैठे `छक्कों के बादशाह`: पंत और सहवाग

इस विशिष्ट सूची में शीर्ष पर दो ऐसे नाम हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अपने बिल्कुल अलग और निडर अंदाज से जिया है – ऋषभ पंत और वीरेंद्र सहवाग। दोनों के नाम 90-90 छक्के दर्ज हैं:

  • ऋषभ पंत: भारतीय क्रिकेट के इस युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ने `डर` शब्द को अपनी डिक्शनरी से शायद हमेशा के लिए बाहर कर दिया है। उनका आक्रामक, गैर-पारंपरिक और आधुनिक दृष्टिकोण अक्सर टेस्ट मैचों में विरोधी टीमों के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा देता है। अपने अपेक्षाकृत छोटे करियर में ही इतने छक्के लगाकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वह लाल गेंद के क्रिकेट में भी एक वास्तविक `मैच विनर` हैं। उनकी निडरता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है, जो उन्हें किसी भी गेंदबाज के खिलाफ बड़े शॉट खेलने से नहीं रोकती, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
  • वीरेंद्र सहवाग: नजफगढ़ के नवाब कहे जाने वाले वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजी की परिभाषा ही बदल दी थी। उनके लिए चाहे सफेद गेंद हो या लाल, खेलने का तरीका एक ही था – आक्रमण ही सर्वोत्तम बचाव है। 90 छक्कों का उनका रिकॉर्ड उनकी उस मानसिकता का सीधा प्रमाण है, जहां वे तेजी से रन बनाते हुए बड़े स्कोर तक पहुंचते थे, और अक्सर छक्के मारकर अर्धशतक, शतक, और यहां तक कि दोहरे शतक का आंकड़ा भी पार करते थे। उनका खेल क्रिकेट प्रेमियों के लिए हमेशा एक अद्भुत अनुभव होता था।

`हिटमैन` रोहित शर्मा: टेस्ट में भी सिक्सर किंग

इस प्रभावशाली सूची में अगला नाम भारतीय टीम के वर्तमान कप्तान रोहित शर्मा का है, जिनके नाम 88 छक्के हैं। सीमित ओवरों के क्रिकेट में रोहित एक महान सलामी बल्लेबाज और `छक्कों के बादशाह` माने जाते हैं। हालांकि उनका टेस्ट करियर उनके सफेद गेंद के करियर जितना शानदार नहीं रहा, लेकिन जब भी वे मैदान पर उतरे, उनके सहजता से लगाए गए पुल और हुक शॉट से सीमा रेखा पार करने की उनकी क्षमता स्पष्ट दिखी। उनकी बल्लेबाजी में एक सहजता और क्लास है, जो उन्हें भीड़ से अलग करती है और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

टेस्ट क्रिकेट में बदलता मिजाज और रोमांच

इन आंकड़ों को देखकर यह स्पष्ट है कि टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी का मिजाज काफी बदल गया है। अब बल्लेबाज सिर्फ रक्षात्मक होकर क्रीज पर टिकने में विश्वास नहीं रखते, बल्कि वे मौका मिलते ही बड़े शॉट खेलने से भी नहीं कतराते। जडेजा, पंत, सहवाग, रोहित और धोनी जैसे खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया है कि आक्रामक बल्लेबाजी और छक्के लगाना टेस्ट क्रिकेट की रोमांचक यात्रा का एक अभिन्न अंग बन सकता है। यह न केवल दर्शकों का मनोरंजन करता है, बल्कि मैच के परिणाम पर भी गहरा और त्वरित प्रभाव डालता है। आधुनिक टेस्ट क्रिकेट अब सिर्फ धैर्य का खेल नहीं रहा, बल्कि यह साहस और आक्रामक सोच का भी प्रदर्शन बन गया है।

रवींद्र जडेजा का यह नया कीर्तिमान भारतीय क्रिकेट के लिए एक गर्व का क्षण है और यह बताता है कि आने वाले समय में भी हम ऐसे ही कई धमाकेदार प्रदर्शन देखने वाले हैं। उम्मीद है कि यह `सिक्सर मेला` टेस्ट क्रिकेट को और भी दिलचस्प और अप्रत्याशित बनाता रहेगा।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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