विदर्भ की मजबूत पकड़: शेष भारत को अंतिम दिन चमत्कार की तलाश

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चौथे दिन के खेल की समाप्ति पर, रणजी चैंपियन विदर्भ ने शेष भारत पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, जिससे मैच का पलड़ा स्पष्ट रूप से उनकी ओर झुक गया है। अनशुल कंबोज के शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन (4 विकेट) के बावजूद, विदर्भ ने शेष भारत को जीत के लिए एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य दिया है। अब शेष भारत को जीत के लिए 331 रन बनाने हैं, जबकि उनके पास केवल 8 विकेट ही शेष हैं। यह स्थिति अंतिम दिन के लिए एक गहन मानसिक और रणनीतिक युद्ध का मंच तैयार करती है। क्या शेष भारत करिश्मा कर पाएगा या विदर्भ अपनी बादशाहत बरकरार रखेगा?

कंबोज का शुरुआती वार: शेष भारत को उम्मीद की किरण

शनिवार की सुबह जब विदर्भ ने 96/2 के स्कोर से अपनी दूसरी पारी को आगे बढ़ाया, तो उम्मीद थी कि वे एक मजबूत स्कोर खड़ा करके शेष भारत को दबाव में लाएंगे। लेकिन शेष भारत के तेज गेंदबाज अनशुल कंबोज का इरादा कुछ और ही था। अपनी कसी हुई और प्रभावी गेंदबाजी से उन्होंने सुबह के पहले घंटे में ही खेल का रुख बदल दिया। उन्होंने रातोंरात क्रीज पर जमे बल्लेबाजों, दानिश मालेवार और ध्रुव शोरे, सहित यश राठौड़ को पवेलियन भेजकर अपनी टीम को मैच में वापस ला दिया। यह क्रिकेट के खेल का एक बेहतरीन उदाहरण था, जहां एक गेंदबाज अपनी टीम के लिए गति को बदल सकता है और विपक्षी टीम की रणनीति को ध्वस्त कर सकता है। कंबोज की यह गेंदबाजी शेष भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हुई, जिसने उन्हें मैच में अपनी वापसी की उम्मीदें जगाईं।

विदर्भ का दृढ़ संकल्प: वाडकर और नालकांडे का जुझारूपन

हालांकि, विदर्भ आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थे। कंबोज के शुरुआती झटकों के बावजूद, हर्ष दुबे और कप्तान अक्षय वाडकर ने मिलकर पारी को संभाला और थोड़ी देर के लिए दबाव कम किया। उनकी साझेदारी ने टीम को कुछ स्थिरता प्रदान की। दुबे के 29 रन पर आउट होने के बाद, अक्षय वाडकर और दर्शन नालकांडे ने एक और महत्वपूर्ण साझेदारी की। यह साझेदारी शेष भारत के गेंदबाजों के लिए परेशानी का सबब बनी, क्योंकि दोनों ने धैर्य से बल्लेबाजी करते हुए विदर्भ को एक सम्मानजनक कुल तक पहुंचाया। गुरनूर बरार और सारंश जैन ने भी दो-दो विकेट लेकर अपना योगदान दिया, लेकिन वाडकर की दृढ़ता ने यह सुनिश्चित किया कि विदर्भ की कुल बढ़त इतनी हो कि वे शेष भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना सकें। यह उनकी मैच जीतने की इच्छाशक्ति और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी टिके रहने के संकल्प का प्रमाण था।

शेष भारत का लड़खड़ाता पीछा: शुरुआती झटके और बढ़ता दबाव

लगभग एक घंटे का खेल शेष होने के कारण, शेष भारत ने 363 रनों के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया। यह एक ऐसा लक्ष्य था जिसके लिए एक मजबूत शुरुआत की आवश्यकता थी, लेकिन विदर्भ के गेंदबाजों ने कोई रियायत नहीं बरती। दिन के खेल की समाप्ति से पहले ही, उन्होंने शेष भारत के दोनों सलामी बल्लेबाजों, अभिमन्यु ईश्वरन और आर्यन जुयाल को आउट कर दिया। यह शेष भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था, क्योंकि अब उनके ऊपर न केवल 331 रनों का विशाल पहाड़ था, बल्कि उनके पास केवल 8 विकेट ही शेष थे और वह भी ऐसे समय में जब गेंदबाज अपनी लय में थे। ये शुरुआती झटके अंतिम दिन के लिए शेष भारत की चुनौती को और भी कठिन बना देते हैं, जिससे उन पर जीत के लिए अविश्वसनीय प्रदर्शन करने का दबाव आ गया है।

अंतिम दिन का समीकरण: विदर्भ की जीत या शेष भारत का करिश्मा?

इस स्थिति ने पांचवें और अंतिम दिन के लिए एक रोमांचक और गहन मंच तैयार कर दिया है। विदर्भ का पलड़ा साफ तौर पर भारी है। उन्हें जीत के लिए सिर्फ 8 विकेट चाहिए, जबकि शेष भारत को 331 रन बनाने हैं। यह एक ऐसा लक्ष्य है जो घरेलू क्रिकेट में एक पारी में हासिल करना लगभग असंभव प्रतीत होता है, खासकर जब विपक्षी टीम आत्मविश्वास से भरी हो। शेष भारत को न केवल अच्छी बल्लेबाजी करनी होगी, बल्कि उन्हें विदर्भ के तेज और स्पिन गेंदबाजों के लगातार दबाव से भी निपटना होगा, जो हर गेंद पर विकेट लेने की तलाश में होंगे। यह एक ऐसी चुनौती है जिसे “असंभव” कहने में शायद ही कोई अतिशयोक्ति होगी, लेकिन क्रिकेट को “अनिश्चितताओं का खेल” यूं ही नहीं कहा जाता।

क्या शेष भारत के बल्लेबाज अंतिम दिन एक ऐतिहासिक वापसी कर पाएंगे और विदर्भ के मजबूत डिफेंस को तोड़ पाएंगे? या रणजी चैंपियन विदर्भ अपनी घरेलू क्रिकेट की बादशाहत का प्रदर्शन करते हुए एक और शानदार जीत दर्ज करेगा? पांचवां दिन केवल क्रिकेट कौशल की ही नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता, दबाव झेलने की क्षमता और खेल के प्रति समर्पण का भी परीक्षण होगा। एक रोमांचक निष्कर्ष की प्रतीक्षा है, जहां हर गेंद और हर रन मायने रखेगा।

संक्षिप्त स्कोर:

विदर्भ: 342 और 232 (अमन मोखाडे 37, अक्षय वाडकर 36; अनशुल कंबोज 4-34, गुरनूर बरार 2-31)

शेष भारत: 214 (रजत पाटीदार 66, अभिमन्यु ईश्वरन 52; यश ठाकुर 4-66) और 30/2

विदर्भ 330 रनों से आगे।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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