Weissenhaus Freestyle Chess: युवा भारतीय सितारा गुकेश क्वार्टरफाइनल से बाहर

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विश्व शतरंज के पटल पर अपनी छाप छोड़ने वाले युवा भारतीय ग्रैंडमास्टर और विश्व चैम्पियन डी गुकेश को जर्मनी के Weissenhaus में आयोजित Freestyle Chess Grand Slam टूर्नामेंट के क्वार्टरफाइनल में हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें विश्व के नंबर 2 खिलाड़ी, अमेरिका के फैबियानो कारुआना ने मात देकर टूर्नामेंट के मुख्य ड्रॉ से बाहर कर दिया। यह परिणाम गुकेश के लिए इस प्रतियोगिता में एक चुनौतीपूर्ण पड़ाव साबित हुआ है।

क्वार्टरफाइनल का विवरण

यह क्वार्टरफाइनल मुकाबला दो गेम का था। पहले गेम में हारने के बाद, 18 वर्षीय गुकेश के लिए दूसरे गेम में जीत हासिल करना अनिवार्य था ताकि मैच को टाई-ब्रेक तक ले जाया जा सके। लेकिन, दूसरे गेम में फैबियानो कारुआना ने सफेद मोहरों से खेलते हुए शानदार शुरुआत की। कारुआना की सटीकता और मजबूत चालों के सामने, गुकेश शुरुआत में ही दबाव में आ गए। खेल के सातवें मोहरे पर गुकेश की एक गलती ने कारुआना को निर्णायक बढ़त दिला दी। मोहरों के आदान-प्रदान के बाद, गुकेश एक प्यादे से पीछे हो गए और उनकी स्थिति काफी कमजोर हो गई थी।

परिस्थिति की गंभीरता को समझते हुए, और यह जानते हुए कि जीत की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है, गुकेश ने जल्द ही हार मान ली। इस तरह, फैबियानो कारुआना ने 2-0 के स्कोर से क्वार्टरफाइनल मुकाबला अपने नाम कर लिया। मैच के दूसरे गेम में कारुआना की 97% की सटीकता, गुकेश की 85.6% की सटीकता से कहीं बेहतर थी, जो खेल के एकतरफा होने की कहानी कहती है।

फ्रीस्टाइल प्रारूप की चुनौती

यह टूर्नामेंट `फ्रीस्टाइल शतरंज` (जिसे Chess960 भी कहते हैं) प्रारूप में खेला जा रहा है। इस प्रारूप की खासियत यह है कि खेल की शुरुआत मोहरों की पारंपरिक स्थिति से नहीं होती, बल्कि बैक रैंक पर मोहरों की स्थिति हर राउंड में यादृच्छिक (random) रूप से बदल जाती है। यह प्रारूप खिलाड़ियों की शुरुआती चालों की तैयारी (opening preparation) की बजाय उनकी तुरंत सोचने, रचनात्मकता और नई स्थितियों के प्रति अनुकूलन क्षमता की असली परीक्षा लेता है।

गुकेश की ताकत पारंपरिक शतरंज में उनकी गहन तैयारी और शुरुआती चालों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। शायद Freestyle Chess का यह प्रारूप, जहां तैयारी का फायदा कम मिलता है, उनके लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है। राउंड-रॉबिन चरण में भी उन्हें नॉकआउट में पहुँचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था और वे आठवें स्थान पर रहे थे। शास्त्रीय समय नियंत्रण में कारुआना के खिलाफ उनके हालिया अच्छे रिकॉर्ड को देखते हुए उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हो न सका।

आगे क्या?

हालांकि गुकेश सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर हो गए हैं, लेकिन टूर्नामेंट में उनका सफर पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। वह अब 5वें से 8वें स्थान के लिए रैंकिंग मैच खेलेंगे। ये मैच भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनमें पुरस्कार राशि ($10,000 से $50,000) और महत्वपूर्ण टूर अंक दांव पर हैं। उनका अगला मुकाबला हिकारू नाकामुरा और जावोखिर सिंदारोव के बीच हुए क्वार्टरफाइनल के हारे हुए खिलाड़ी से होगा।

हालिया प्रदर्शन और सीख

विश्व चैम्पियन बनने की ऊंचाइयों को छूने के बाद, गुकेश के लिए टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल में आर प्रज्ञानानंद से टाई-ब्रेक में मिली करीबी हार और अब Weissenhaus में यह परिणाम, पिछले कुछ महीने सीखने और परिपक्व होने के रहे हैं। नए और अलग-अलग प्रारूपों में खेलना युवा खिलाड़ी के विकास का हिस्सा है। यह अनुभव निश्चित रूप से उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए और मजबूत बनाएगा। Weissenhaus में मुख्य अभियान भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन युवा विश्व चैम्पियन की यात्रा अभी जारी है, और हर अनुभव उनके लिए एक कदम है।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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